तिरूपति बालाजी की कहानी, रहस्य, मंदिर | Story of Tirupati Balaji, Temple, Demat Account, Accommodation

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तिरूपति बालाजी | Tirupati Balaji

संसार के सबसे धनी मंदिरों में आंध्रप्रदेश में तिरुपति नामक स्थान पर भगवान विष्णु का मंदिर है। यहां जानिए भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर अवतार को समर्पित मंदिर से जुड़े तथ्यों के बारे मे ।


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मुख्य बातें तमिल भाषा में तिरु अथवा थिरू शब्द का वही अर्थ है जो संस्कृत में श्री है। श्री शब्द, धन-समृद्धि की देवी लक्ष्मी के लिए प्रयुक्त होता है। 300 ईसवी के आसपास बना मंदिर भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर अवतार को है समर्पित। हजारों श्रद्धालु लोग इस मंदिर में रोज आते हैं । 
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भगवान विष्णु को अनेक रूपों में पूजा जाता है। कहीं श्रीराम के रूप में तो कहीं श्रीकृष्ण के रूप में। तिरुपति बालाजी भी भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं। भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर दक्षिण भारत में स्थित है। इस मंदिर को देश का सबसे अमीर मंदिर होने का भी दर्जा प्राप्त है। यह एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां सबसे अधिक चढ़ावा आता है।

कहतें हैं कि जो भी दिल से इनसे मन्नतें मांगते भगवान तिरुपति बालाजी भक्तों की मन्नतें पूरी करते हैं और भक्त भेंट स्वरूप अपने बाल और धन भगवान को अर्पित करते हैं। भगवान तिरुपति के मंदिर में पूरे वर्ष समान भीड़ रहती है।

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वैंकटेश भगवान को कलियुग में बालाजी नाम से भी जाना गया है। तीर्थयात्रियों की संख्या की दृष्टि से रोम, मक्का और जेरूसलम की तीर्थयात्रा करने वाले यात्रियों की तुलना में अधिक संख्या में श्रद्धालु तिरुपति बालाजी की तीर्थयात्रा प्रतिवर्ष करते हैं। तिरुपति देवस्थान बोर्ड में लगभग पच्चीस हजार कर्मचारी नियुक्त हैं। इस मंदिर में सर्वाधिक चढ़ावा आना अपने आप में व्यक्त करता है कि जनसाधारण की मनोकामनाएं और कष्ट निवारण हेतु इसकी महत्ता स्वयंसिद्ध है।

भारत के धनी मंदिरों की लिस्ट में तिरुपति बालाजी टॉप पर हैं। तिरुपति के खजाने में लगभग आठ टन ज्वेलरी है। 650 करोड़ रुपए की वार्षिक आय के साथ तिरुपति बालाजी भारत में सबसे अमीर देवता है। ऐसा माना जाता है कि अलग-अलग बैंकों में मंदिर का 3000 किलो सोना जमा और मंदिर के पास 1000 करोड़ रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट है।

300 ईसवी के आसपास बने भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर अवतार के इस मंदिर में रोज करीब हजारों लोग आते हैं। साल के कुछ खास दिनों विशेषकर नवरात्रि के दिनों में तो यहां लाखों तक लोग हर दिन दर्शन करने पहुंचते है। बड़ी संख्या में यहां सिर्फ श्रद्धालु ही नहीं आते, बल्कि उनका चढ़ावा भी बहुत भारी-भरकम होता है।

नवरात्रि के दिनों में ही 12 से 15 करोड़ रुपए नकद और कई मन सोना चढ़ जाता है। बालाजी के मंदिर में इस समय लगभग 50,000 करोड़ रुपए की संपत्ति मौजूद है। तिरुपति के बालाजी दुनिया के सबसे धनी देवता हैं, जिनकी सालाना कमाई 600 करोड़ रुपए से ज्यादा है। यहां चढ़ावे को इकट्ठा करने और बोरियों में भरने के लिए बाकायदा कर्मचारियों की फौज है। पैसों की गिनती के लिए एक दर्जन से ज्यादा लोग मौजूद हैं। ये स्थिति तब थी जब अंग्रेज भारत आए थे वे बालाजी मंदिर की शानो-शौकत और चढ़ावा देखकर दंग रह गए थे।


वर्ष 2008-09 का बालाजी मंदिर का बजट 1925 करोड़ था। इस मंदिर की देखरेख करने वाले तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट ने 1000 करोड़ रुपए की फिक्स डिपोजिट कर रखी है। कुछ महीनों पहले कर्नाटक के पर्यटन मंत्री जनार्दन रेड्डी ने हीरा जड़ित 16 किलो सोने का मुकुट भगवान बालाजी को चढ़ाया था। जिसकी घोषित कीमत 45 करोड़ रुपए थी। तिरुपति के पास भारत में सबसे ज्यादा सोना है।

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तिरुपति बालाजी के 10 रहस्य | Tirupati Balaji Story | तिरुपति बालाजी की कहानी

भारत के सबसे चमत्कारी और रश्मि के मंदिर में से एक है भगवान श्री तिरुपति बालाजी भगवान तिरुपति बालाजी के दरबार में गरीब और अमीर दोनों सच्चे श्रद्धाभाव के साथ अपना सिर झुकाते हैं हर साल लाखों लोग तिरुमला की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्र होते हैं। मान्यता है कि बालाजी और अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से भगवान के सामने प्रार्थना करते हैं बालाजी इनकी सभी मुरादें पूरी करते हैं। इस अलौकिक को चमत्कारी मंदिर से ऐसे रहस्य जुड़े हैं जिन्हें जानकर आप भी दंग रह जाएंगे आइए जानते हैं मंदिर के से जुड़े ऐसे 10 रहस्य।


मूर्ति पर लगे बाल

कहा जाता है भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं यह कभी उलझते नहीं है हमेशा मुलायम रहते हैं मान्यता है कि ऐसा इसलिए है कि यह भगवान खुद विराजते हैं।


समुद्र लहरों की ध्वनि

यहां जाने वाले बताते हैं भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है यही कारण है कि मंदिर में मूर्ति हमेशा नम रहती है


अद्भुत छड़ी

मंदिर में मुख्य द्वार पर दरवाजे के दाएं और एक छड़ी है। इस छड़ी के बारे में कहा जाता है कि बाल अवस्था में इसी छड़ी से ही भगवान बालाजी की पिटाई की गई थी इसी कारण उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी इस कारणवश तब से आज तक उनकी ठुड्डी पर शुक्रवार को चंदन का लेप लगाया जाता है ताकि उनका घाव भर जाए।


सदा जलता है दिया

भगवान बालाजी के मंदिर में एक दिया सदैव जलता है इसमें ना ही कभी तेल डाला गया और ना ही कभी घी , कोई नहीं जानता कि वर्षों से जल रहे दीप को किसने और कब जलाया।


मूर्ति मध्य में या दाई ओर

जब आप भगवान बालाजी के गर्भ गृह में जाकर देखेंगे तो पाएंगे कि मूर्ति गर्भ ग्रह के मध्य में स्थित है वही जब गर्भ ग्रह से बाहर आकर देखेंगे तो लगेगा की मूर्ति दाएं और स्थित है


पचाई कपूर

भगवान बालाजी की प्रतिमा पर खास तरह का पचाई कपूर लगाया जाता है वैज्ञानिक मत है कि इसे किसी भी पत्थर पर लगाया जाता है तो वह कुछ समय के बाद ही चटक जाता है लेकिन भगवान की प्रतिमा पर कोई असर  नहीं होता।


गुरुवार को लगाया जाता है चंदन का लेप

भगवान बालाजी के हृदय पर मां लक्ष्मी विराजमान रहती हैं माता की मौजूदगी का पता तब चलता है जब हर गुरुवार को बालाजी का पूरा सिंगार उतारकर उन्हें स्नान करवाकर चंदन का लेप लगाया जाता है , जब चंदन लेप हटाया जाता है तो हृदय पर लगे चंदन में देवी लक्ष्मी की छवि उभर आती है।

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नीचे धोती ऊपर साड़ी

भगवान की प्रतिमा को प्रतिदिन नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है मान्यता है कि बालाजी में ही माता लक्ष्मी का रूप समाहित है इसी कारण ऐसा ऐसा किया जाता है।


यह अनोखा गांव

भगवान बालाजी के मंदिर में से 23 किलोमीटर दूर एक गांव है और यहां बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित है यहां पर लोग बहुत ही नियम और संयम के साथ रहते हैं मान्यता है कि बाला जी को चढ़ाने के लिए फल फूल दूध दही और घी सब यहीं से आते हैं इस गांव में महिलाएं सिले हुए कपड़े धारण नहीं करती हैं।


मूर्ति को पसीना भी आता है

वैसे तो भगवान बालाजी की प्रतिमा को एक विशेष प्रकार के चिकने पत्थर से बनी है मगर यह पूरी तरह से जीवंत लगती है यहां मंदिर के वातावरण को काफी ठंडा रखा जाता है उसके बावजूद मान्यता है कि बालाजी को गर्मी लगती है कि उनके शरीर पसीने की बूंदे देखी जाती है और उनकी पीठ भी नाम रहती है


तिरुपति बालाजी का खुल गया Demat Account, शेयर चढ़ाकर करे प्रसन्न।

सही सुना आपने तिरुपति बालाजी का Demat Account खुल गया है। दरअसल तिरुमला तिरुपति देवस्थानंस ने स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के तहत बालाजी के नाम पर डिबेट अकाउंट खोला है।

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