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यन्त्र मंत्र तंत्र रहस्यमयी गुप्त विद्यायें | Yantra Mantra Tantra
यद्यपि पोस्ट के 'यन्त्र प्रयोग अध्याय में प्रत्येक यन्त्र के साथ यह संकेत दिया गया है कि यन्त्र में जहाँ में ..........विन्दुओं द्वारा रिक्त स्थान छोड़ा गया है अथवा जहाँ देवदत्त लिखा गया है, वहाँ यन्त्र में उस व्यक्ति का नाम लिखना चाहिए, जिसे प्रभावित करने के लिये यन्त्र-साधना की जा रही है।
फिर भी कुछ ऐसी क्लिष्ट यन्त्र रचना भी हैं जहाँ केवल उतने संकेत मात्र से बात स्पष्ट न हो पाये।
अतः नीचे एक यन्त्र की आकृति देकर अपने मन्तव्य को और भी सुस्पष्ट
किया जा रहा है।
इस यन्त्र की रचना में यद्यपि स्पष्ट प्रकट नहीं है, किन्तु इसमें भी 'देवदत्त' का प्रयोग है। इसी प्रकार यदि गंगाराम नामक व्यक्ति के लिए यन्त्र प्रयोग करना है तो यन्त्र रचना का स्वरूप यह होगा- 'क्रो गं ह्रीं गा ह्रीं रा ह्रीं मक्रों ।'
इसी प्रकार चार अक्षर से बड़े या छोटे नाम में प्रत्येक अक्षर के साथ ही
रहेगा तथा यन्त्र के आदि और अन्त के अक्षर 'क्रों' रहेंगे।
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